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राज्य कर्मचारियों और सरकारी प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।
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भी कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों की समस्याओं के समाधान के लिए यह फैसला लिया गया है।
देहरादून: राज्य कर्मचारियों और सरकारी प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सभी कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों की समस्याओं के समाधान के लिए यह फैसला लिया गया है। सरकार के सामने विभिन्न संवर्गों के कर्मचारियों की वेतन संबंधी शिकायतें समय-समय पर आती रहती थीं, जिसको देखते हुए अब सरकार ने वेतन निर्धारण के लिए मानक तय कर दिया है।
वित्त विभाग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा राज्य कर्मचारियों एवं अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों के कार्मिकों की विभिन्न मांगों और वेतन विसंगति के लम्बित प्रकरणों के निस्तारण के लिए अगस्त, 2021 में गठित वेतन विसंगति समिति की ओर से दिये गये प्रतिवेदन में यह संस्तुति की गयी है कि राज्य सरकार की ओर से दिए जाने वाले वेतन-भत्तों के निर्धारण के लिए केन्द्र सरकार से समता का सिद्धान्त स्वीकार किया गया है।
इसमें कहा गया है कि विभिन्न कार्मिक संवर्गों की ओर से की गयी मांगों के क्रम में विगत वर्षों में राज्य सरकार के लिए गए निर्णयों ने विभिन्न कार्मिक संवर्गों के मध्य अन्तर्सवर्गीय संतुलन को प्रभावित किया है। ऐसे में अन्तसंवर्गीय संतुलन को बनाये रखने और राज्य के सीमित वित्तीय संसाधनों के दृष्टिगत राज्य में कार्मिकों को दिये जा रहे वेतन-भत्तों के निर्धारण के सम्बन्ध में पुनर्विचार किये जाने की आवश्यकता है।
समिति की संस्तुति पर राज्य सरकार के विभिन्न प्रशासकीय विभागों और उनके अधीन स्थापित संस्थाओं के किसी भी संवर्ग में सीधी भर्ती अनुकम्पा नियुक्ति जैसे किसी भी माध्यम से भविष्य में होने वाली भर्तियों/नियुक्तियों के लिए निर्धारित वेतनमान भारत सरकार में सम्बन्धित संवर्ग के लिए सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अधिसूचित वेतनमान से अधिक नहीं होंगे।
इस प्रकार भविष्य में नियुक्त होने वाले कार्मिकों के लिए अग्रेत्तर पदोन्नति के पदों का वेतनमान भी केन्द्र के समान ही होगा। वर्तमान में कार्यरत कार्मिकों के लिये उपरोक्त संशोधित वेतनमान लागू नहीं होंगे, उनके वेतनमान आदि पूर्ववत् ही रहेंगे।